गुरु की आशीष वाणी, मांगें हम प्रतिपल
देते ज्ञान हमें सदा, विवेक बुद्धि निष्फल।। (१)
मातु पितु से बड़े में, गुरु धीरज की खान।

गुरु बिना कुछ भी न सधे, गुरु हैं संत महान।। (२)
आषाढ़ की पूर्णिमा, सबसे पावस दिवस।
गुरु शिष्य की परंपरा, छंटते अंध तमस।। (३)
आपके चरण में मिले, हमें ज्ञान भंडार।
हमने सीखा आपसे, पढ़ना ये संसार।। (४)
स्वरचित
डॉ आकांक्षा चौधरी
रांची झारखंड