
“अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस” पर मेरी रचना :-
हमें हिंदी कहते हैं लोग, हमें हिंदी कहते हैं लोग,
भारत ही नहीं विदेशों में भी, होता हमारा प्रयोग,
संस्कृत माता है मेरी , ऊर्दू है मेरी बहना,
हर भाषा से मिल जुलके , आता हमें है रहना,
सबके विकास में किया है हमने,हरदम ही सहयोग,
हमें हिंदी कहते हैं लोग , हमें हिंदी कहते हैं लोग,
पाकर होऊंगी सम्मानित , राष्ट्रभाषा का दर्जा,
हिंदी दिवस पर होती है, खूब हमारी चर्चा,
लगा हुआ है कुछ लोगों को , अंग्रेजी का रोग,
हमें हिंदी कहते हैं लोग, हमें हिंदी कहते हैं लोग,
उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम में, मेरा है फैलाव,
करती कभी सियासत लेकिन, मेरे बदन पर घाव,
अपने ही घर में बनी पराई , कैसा है दुर्योग,
हमें हिंदी कहते हैं लोग, हमें हिंदी कहते हैं लोग,
सच्चे ह्रदय से जिस-जिसने, हमको है अपनाया,
साहित्य सृजन करके उसने, जग में नाम कमाया,
मेरी साधना करनेवालों , रखना तू मनोयोग,
हमें हिंदी कहते हैं लोग, हमें हिंदी कहते हैं लोग,
"कामेश"
14-09-22