कल रात कमाल का स्वप्न दिखा
मैने उठते ही सरकार को पत्र लिखा
कि हे सरकार!
आप सारी टैंशन छोड़ दो
और संविधान में केवल एक नियम और जोड़ दो।
कि भारत मैं जो भी गरीब, दुखी, लाचार बेरोज़गार है
आज से उन सबको भी चोरी का अधिकार है।
वैसे भी ये अधिकार सभी के लिये जरूरी है
क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों की तो यही मजबूरी है।
पुलिस वाला दो डंडे लगाकर लेता है
पटवारी आफिस बुलाकर लेता है।
बिजली वाले खुद ले जाते है
क्लैक्टर को हम दे आते हैं।
नेता लोग तो करोड़ों मार जाते है
सीवर, चारा, रोड़ी,बजरी सब डकार जाते हैं।
जब नागरिकता एक है दो नही
तो ये अधिकार हमे क्यों नही ?
पढ़ा लिखा बेरोज़गारी से मर रहा है
ढेर जमीनों का मालिक और चोरी कर रहा है।
मेरी मानों तो चोरी के ट्रेनिंग सैन्टर खुलवा दो
दो चार अनुभवी नेताओं को बुलवा दो।
जब वे अपने अनुभव हमें बताएंगे
तो हम स्वभाविक रूप से चोरी करना सीख जाएंगे।
कुछ भले का काम भी कर दिया करेंगे
हम तो इन्कम टैक्स भी भर दिया करेंगे।
अगर उन नेताओं को ईमानदारी से फोलो करेंगे
तो शुगर से भले मर जाएं पर भुखमरी से नही मरेंगे।
जाती धर्म के नाम पर बिल्कुल नही लड़ेंगे
घर पर छत होगी, सामने सड़क, बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ेंगे।
चोर चोर मौसेरे भाई हो जाएंगे
चांदी की थाली में शाही पनीर खाएंगे।
सो, मेरा अन्तिम निवेदन यही है
कि गरीबी मिटानी है विकास करना है तो रोज़गार दो
वरना अपना विकास हम खुद कर लेंगे
हमे चोरी का अधिकार दो।