इनाम चालीस हजार
लो दोस्तों एक दास्तां सुनाता हूँ ,
कोरोना का कहर आपको दिखाता हूँ ।
मानवता पर दानवता का प्रहार दिखाता हूँ ,
हुई इंसानियत केसे शर्मशार सुनाता हूँ ।
. केसे हुए रिश्ते तार तार दिखाता हूँ ,
. लो इनाम चालीस हजार काव्य सुनाता हूँ ॥
रिटायर्ड शिक्षक रामनाथ सभ्य सम्पन थे ,
भरपूर परिवार हर तरफ से सम्पन थे ।
दो साल पहले एक पिला पाल लिये थे,
उसका ख्याल और बड़ा प्यार करते थे ।
एक शाम उनकी तबीयत कुछ खराब होगई ,।
कुछ कोरोना के लक्षण नजर आगए ।
पूरे ही घर में भगदड़ सी मच गई
मोहल्ले में ये खबर आम गई ।
तुरंत नीचे बड़े कमरे में ले आए
पड़ोस की एक बुढ़िया आ कहने लगी
ये तेरा पत्ति जल्दी इसे खाना खिला दे ।
कुछ दूर से ही इसको थाली खिसका दो ।
थाली लिये बीवी यूँ कांप रही थी
बेटे बहू झरोखे से झांक रही थी
रामनाथ जी ने सबकी बाते सुनली थी ।
कहने लगे मुझे अभी भूख नहीँ है ,
किसी कॊ मेरी चिंता की जरूरत नहीँ है ।
तब तक दरवाजे पर अम्बुलेन्स आती है ।
रामनाथ जी बाहर निकलते है
पीछे पीछे मार्शल कुत्ता चलता है
बेटे बीवी दूर खड़े देख रहे थे
बहुएँ पोता पोती बालकोनी में खड़े थे
सबके मुंह पर मास्क लगे थे
देख दादा कॊ पोती हाथ हिलाती है
रमानाथजी की आँखो में आँसू आजाते है
.घर की देहली कॊ चूम अलविदा होते है
अम्बुलेन्स की और बढ़ जाते है
मार्शल भी अम्बुलेन्स के पीछे दौड़ जाता है ॥
चौदह दिन रामनाथ जी हॉस्पिटल में रहते है
सब जांचों के बाद पूर्ण स्वस्थ पाए जाते है ।
मिली छुट्टी हॉस्पिटल से बाहर आते है
अपने प्यारे मार्शल कॊ सामने खड़ा पाते है ।
ना कोई बेटा ना उनकी गाड़ी नजर आती है
गले मार्शल कॊ लगा वो तो रोने लगते है ।
..साथ मार्शल के अलग राह पकड़ते है ,
घर परिवार से वो अलविदा करते है ।
साथ मार्शल कॊ ले वो नई डगर चलते है ॥
दो दिन बाद अखबारों में ये आता है ,
रामनाथ जी के फोटो के साथ गुम सुदा
लिखा आता है ,
इनाम मिलेगा 40हजार लिखा आता है ।
देख लो देख लो दुनियाँ वालो क्या तमाशा है
बीवी शौहर कॊ बाप बेटे कॊ नहीँ पहचानता है
स्वार्थ की दुनियाँ ये तो साफ नजर आता है ।
मतलब की दुनियाँ सारी नजर आती है ॥
तू तो नर है फिर क्यों हेवान बनता है ,
जब जानवर भी आदमी से प्यार करता है ॥
निर्दोष लक्ष्य जैन
धनबाद