कल का दिन बहुत ही ख़ास और मनोरंजन से भरपूर रहा। पहले तो बहुत ही प्रतिष्ठित पटल ‘अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति ‘ में मेरा लाइव काव्यपाठ बहुत सफ़ल रहा। रहा। देश-विदेश के साहित्यकारों ने मुझे सुना और बहुत सराहा। 6 बजे जैसे ही काव्यपाठ समाप्त हुआ तो मुझे याद आया कि मुझे आदरणीय गोपी कृष्ण बबना जी के आमंत्रण पर एक बहुत ही प्यारी फ़िल्म ………
“मै राजकपूर हो गया” के प्रीमियर पर जाना है।
बिना समय व्यर्थ किए ,सही समय पर मैं वहाँ पहुँच गई।
नाम ही इतना आकर्षक लगा……….
“मै राजकपूर होगया”
बहुत ही प्यारी और रोचक कहानी में नायक राज और उसके जीवन में आने वाले उतार-चढावों को भावनात्मक रूप से दर्शाया गया है।नायक के सुख-दुख की साक्षी और साथी बनी नायिका सुमन,मैडम जी और लक्ष्मी और स्वयं नायक के जानदार अभिनय ,रोचक संवादों के बल पर बहुत ही सहज और स्वाभाविक रूप से कहानी निर्बाध आगे बढ़ती रही। फिल्म के नायक मानव जी ने महान अभिनेता राजकपूर जी जैसी सादगी और मासूमियत को आरंभ से लेकर अंत तक बनाए रखा और बहुत ही उत्कृष्ट अभिनय किया। तीनों नायिकाओं ने भी अपने-अपने किरदार को बखूबी निभाया। फिल्म के हर किरदार ने कमाल का अभिनय किया है। कहीं-कहीं तो नरगिस और राजकपूर जी की छवि भी आँखों के सामने आ रही थी। मधुर गीत-संगीत के साथ, निर्देशन और दृश्य भी स्वाभाविक लगे। नए सितारे होते हुए भी फिल्म मुझे बहुत अच्छी लगी। आप लोग भी इस फिल्म को देखिएगा, अच्छी लगेगी। कुछ तस्वीरें आपके साथ साँझा कर रही हूँ। आदरणीय गोपी कृष्ण जी का पुनः हार्दिक आभार जिन्होंने मुझे आमंत्रित किया और एक प्यारी सी फिल्म देखने का सुअवसर दिया। 🙏🌹🙏
–डॉ० दमयंती शर्मा ‘दीपा’