ऋतु राज बसन्त
हो रहा ऋतुराज बसन्त का आगमन।
मौसम हुआ मोहक,मन भावन।।
खिलने लग गये नये कोपल।
कितने सुंदर, नाजुक कोमल।।
धरती ने कैसा नव रुप धरा।
हो गया दृश्य कैसा हरा भरा।।
गेंहू में लगने लगी बालियां।
झुमने लगी है सारी डालिया।।
सरसो के खेत पीली ओढ़ चुनरिया।
मन का मयूरा नाचे हो के बावरिया।।
भौरे भी गुनगुन गुंजन गाये।
फूलो पर तितलियां मन लुभाये।।
सजधज कर नया सवेरा आया।
रवि किरणों ने उसे सजाया।।
अम्बुवा पर छाई अमराई।
देखो सुहानी बसन्त ऋतु आयी।।
चलने लगीं ठंडी ठंडी पुरवाई।
मौसम ने ली देखो अंगड़ाई।।
कभी छांव कभी धूप खिले।
शीतल शीतल पुरवाई चले।।
ठंड की हो रही बिदाई।
प्रकृति नव रुप मे आईं।।
ज्योति जोशी बमनाला।