
चढूं चरणों में तेरे मैं सुगंधित फूल हो जाऊँ,
जहाँ तेरे भजन हों मैं वहाँ की मूल हो जाऊंँ,
न चाहूँ बाँसुरी बनना तेरे अधरों की ओ कान्हा!
पड़े कोमल चरण जिसमें वो पावन धूल हो जाऊंँ।
चाँदनी केशरवानी
सुगंधा गुरुग्राम हरियाणा
चढूं चरणों में तेरे मैं सुगंधित फूल हो जाऊँ,
जहाँ तेरे भजन हों मैं वहाँ की मूल हो जाऊंँ,
न चाहूँ बाँसुरी बनना तेरे अधरों की ओ कान्हा!
पड़े कोमल चरण जिसमें वो पावन धूल हो जाऊंँ।
चाँदनी केशरवानी
सुगंधा गुरुग्राम हरियाणा